श्यामजी कृष्ण वर्मा
जन्म
निधन





निधन
गुजरात के कच्छ मांडवी नामक ग्राम में साधारण परिवार में जन्मे श्यामजी कृष्ण वर्मा संस्कृत के अद्वितीय विद्वान की शिक्षा की कोई समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी थी 18 सो 74 में उनकी महर्षि से मुंबई की भाटिया धर्मशाला में प्रथम भेंट हुई इनको महर्षि ने पहचाना तथा संस्कृत शिक्षण की व्यवस्था की और मासी की प्रेरणा से उनका विवाह सेठ छबीलदास भंसाली की कन्या भानुमति के साथ हो गया महर्षि ने ने 18 सो 69 की मार्च में इंग्लैंड भेजा जहां यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्राध्यापक बने और उच्चतर अध्ययन भी करते रहे और महर्षि से पत्र व्यवहार भी 1885 में बैरिस्टर बनकर वे स्वदेश आए यहां रतलाम उदयपुर जूनागढ़ आदि अनेक रास्तों में प्रधानमंत्री का कार्य किया फिर इनकी राजनीतिक और क्रांतिकारी गतिविधियां बढ़ गई उन्हें लंदन पहुंचे और इंडियन होम रूल सोसायटी की स्थापना 18 फरवरी उन्नीस सौ पांच में की तथा इंडियन सोशियोलॉजी नामक पत्र निकाला सावरकर इनके शिष्य थे उन्हें इंग्लैंड से निर्वाचित किया गया और जिनेवा में 31 मार्च 1930 को उनका निधन हुआ यह आजीवन श्रीमती परोपकारिणी सभा से जुड़े रहे





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