पंडित गंगाप्रसाद जी उपाध्याय

पंडित गंगा प्रसाद उपाध्याय का जन्म 18 सो 81  मैं उत्तर प्रदेश के एटा जिले के नदरई नामक कस्बे में श्री कुंज बिहारी लाल और श्रीमती गोविंदी देवी के यहां हुआ अल्पायु में पिता के निधन के बाद पंडित जी ने माता गोविंद भी जीके तक को व्यर्थ ना जाने दिया और हिंदी उर्दू फारसी और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त किया अखिलेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन को जा रहे थे तो कुछ लोग आर्य समाज में उनकी हंसी उड़ाई बात कुछ तार्किक मालूम हुई तो सत्य जानने हेतु सत्यार्थ प्रकाश लिया बस धारा को उसका मार्ग मिल गया जीवन को नई दिशा मिल गई बाद में अलीगढ़ वैदिक आश्रम में वैदिक विद्वान बनने हेतु अध्ययन किया और लालसा पूरी हुई आस्तिक वाद अद्वैतवाद मनुस्मृति शतपथ ब्राह्मण का भाषण फ्लाइट ऑफ ट्रुथ इनके प्रसिद्ध ग्रंथ है  मुकद्दस दयानंद मुकद्दस आहे बेजुबा आदि उर्दू काव्य भी उन्होंने लिखें बहुत बड़ी होने के कारण विमान से आप पहाड़ के आदि ग्रंथ उनके छाप ना सके आप शास्त्रार्थ भी करते थे बिजनौर में मुसलमानों से कई शास्त्रार्थ किए बाराबंकी में पादरी ज्वाला सिंह से भी शास्त्रार्थ किया 18 सो 68 के अगस्त माह में कलम का सिपाही चल बसा

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