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प्रताप जी शूरजी वल्लभजी

दशकों पहले तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री गुलजारीलाल नन्दा एक बार किसी आवश्यक कार्य से दिल्ली से मुंबई कुछ दिनों के लिए आने वाले थे। वे सुबह-शाम गाय का शुद्ध दूध पीने के अभ्यस्त थे। उस समय महाराष्ट्र के प्रसिद्ध नेता एस.के. पाटिल जो केन्द्र में मंत्री रह चुके थे अपनी पहल पर गृहमंत्री की इस छोटी सी दैनिक व्यवस्था के लिए मुंबई में उनके आतिथेय के लिए गिरगांव चैपाटी में ‘कच्छ कैसल’ बहुमंजिला भवन में रहने वाले विख्यात प्रतापसिंह सूरजी वल्लभदास के पास गए। प्रतापसिंहजी एक अत्यन्त स्पष्टवादी निर्भीक सार्वजनिक छवि वाले उद्योगपति होने के साथ-साथ अखिल भारतीय सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष भी थे। एस.के, पाटिल ने उन्हीं के यहां नंदाजी के लिए अल्पाहार के साथ दूध की व्यवस्था की थी। यह विस्मयजनक था कि प्रताप भाई ने तुरन्त ही एस.के. पाटिल को मना करवा दिया जिससे वह चकित रह गए। स्वयं पाटिल उनके आवास   पर गए क्योंकि उन्हें ज्ञात था कि गाय के दूध की व्यवस्था उनके मित्र के घर बहुत अच्छी थी, फिर क्यों उन्होंने इसे मना कर दिया। सेठ प्रतापजी भाई ने खुलकर कह दिया कि भारत के गृहमंत्री होते हुए...

मुनिवर पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी

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जन्म  : वैशाख कृष्णपक्ष ५ संवत् १९२१   मंगलवार   २६ अप्रैल १८६४ निधन : चैत्र कृष्णपक्ष १३ संवत् १९४७     बुधवार      १९  मार्च १८९०  मुनिवर की रचनाएँ     साभार  The following enlists the known works of Panditji:- # Title Editor Publisher 1 The works of late Pandit Gurudatta Vidyarthi MA with a biographical sketch. Edited by Jiwan Das Pensioner, Vice President, Lahore Arya Samaj The Aryan printing, publishing & general Trading Co Ltd, Lahore 1897 (Ed1), 1902 (Ed II), 1912 (Ed III) 2 Wisdom of the Rishis or Works of Pdt Gurudatta Vidyarthi MA with a biographical sketch by Pt Chamupati Edited by Swami Vedanand Tirth Rajpal & Sons, Lahore, 1912; Sarvedeshik Pustakaalaya, Delhi, 1959 3 Gurudatta Lekhawali Translated By Santram BA; and Bhagvad Datta BA ...

रक्तसाक्षी धर्मवीर पंडित लेखराम आर्यमुसाफिर

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रक्तसाक्षी धर्मवीर पंडित लेखराम ‘आर्यमुसाफिर’  गजल  धर्म के नाम पर प्यारों ! तुम्हें मरना नहीं आता! लहू से कास-ए-तकदीर को भरना नहीं आता!! छुरी से पेट फड़वाना तुम्हें आता नहीं यारो! हकीकत की तरह कुरबान सर करना नहीं आता!! धर्म की राह पर चलना तुम्हें अब हो गया मुश्किल! छुरी की धार पर तुमको कदम धरना नहीं आता!! तबाही का तुम्हारी एक ही कारण है बस मित्रो! तुम्हें कहना तो आता है, मगर करना नहीं आता!! ‘मुसाफिर’ मरहबा सद-मरहबा है तेरी हिम्मत को! धर्म की राह में ओ नर! तुझे डरना नहीं आता!! -कुंवर सुखलाल आर्य मुसाफिर अविभाजित भारत के झेलम जिले के सैयदपुर नामक ग्राम में पिता तारासिंह जी एवं माता भागभरीदेवी के घर चैत्र शुक्लपक्ष अष्टमी संवत १९१५ को जन्मे लेखराम जी ने मिडिल तक उर्दू फारसी की शिक्षा अपने ग्राम में व पेशावर में प्राप्त की। सभी प्रमाणिक साहित्यिक ग्रन्थों को छोटी सी आयु में पढ़ डाला।आप मत, पन्थो का अध्ययन करते रहे।  १७ मई १८८१ को अजमेर में महर्षि दयानन्द के प्र...